मूंग की खेती :- रबी की फसल की कटाई होने के बाद मूंग की फसल लगाई जाती है जो की लगभग 60 -70 दिनों के अंदर में ये फसल किसानो को मालामाल कर देगी, क्यों की ये कम दिनों की फसल और इस फसल का मूल्य भी अधिक रहता है लेकिन खर्च भी लगता है लेकिन किसानो की मेहनत से ये फसल अच्छा मुनाफा देती है | इस फसल को पकने की अवधि कम होने के कारण सोयाबीन की जुताई के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। जानते हैं इस खेती की पूरी तकनीक और गर्मियों में इससे कैसे कमाया जा सकता है ज्यादा से ज्यादा मुनाफा…….
गर्मियों में मूंग की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि फलियां गिरने के बाद फसल को जमीन में पलटने से हरी खाद भी मिलती है। इसके अतिरिक्त, सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदती है। उन्नत कृषि प्रणालियों का उपयोग करके किसान मूंग की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।
ग्रीष्म ऋतु में उपयुक्त मूंग की किस्में :-
ग्रीष्म ऋतु में मूंग की खेती :- मालवीय जागृति (एच.यू.एम. 12), मालवीय जनप्रिया (एच.यू.एम. 6), मेहा (आई.पी.एम. 99-125), मालवीय जन कल्याणी (एच.यू.एम.-16), मालवीय ज्योति (एचयूएम 1), टी.एम.वी. 37, मालवीय (एच.यू.एम. 12), आई.पी.एम. 2-3, आई.पी.एम. 205-7 (विराट),नरेन्द्र मूंग-1, सम्राट (पी.डी.एम. 139), पूसा विशाल,
कुछ नई किस्में :-
1. आईपीएम 512 – 1 (सूर्य)
2. एम एच 1142
3. पूसा 1431
4. एमएच 421
ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई की सही समय :-
ग्रीष्म ऋतु में रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद मूंग की खेती की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि 15 फरवरी से 15 मार्च तक वसंत ऋतु की किस्मों की बीजाई करना चाहिए, जबकि 10 मार्च से 10 अप्रैल तक ग्रीष्म ऋतु की किस्मों की बीजाई करना चाहिए। सम्राट और HWM-16 किस्मों को अप्रैल के पहले सप्ताह में बीजाई करनी चाहिए।
खेती के लिए जमीन :-
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि दोमट भूमि ग्रीष्म ऋतु में मूंग की खेती के लिए अच्छी है। खेत को जुताई और दो बार जुताई करके तैयार किया जाता है। खेत को ट्रैक्टर, रोटावेटर, पावर टिलर या अन्य आधुनिक कृषि उपकरणों से जल्दी तैयार कर सकते हैं।
मूंग बोने का तरीका :-
मूंग की बिजाई आप देशी हल के पीछे कूड़ों में या सिड्रिल के दुवारा कर सकते है और उसकी गहराई लगभग आपको रखनी है 4-5 सेमी तक,और पंक्ति से पंक्ति की दूरी लगभग 9 इंची या 12 इंची और कुछ किसान 14 इंची पर भी रखते हैं।
खाद और उर्वरक का प्रबंधन :-
मिट्टी परीक्षण की सुझावों के अनुसार गर्मियों में मूंग की खेती के लिए खेतों में उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। यदि मृदा परीक्षण नहीं किया गया है, तो निम्नलिखित मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होगी|
10 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। फास्फोरस का उपयोग मूंग की उपज में बड़ा योगदान देता है। फास्फोरस से फसल में काफी ज्याद लाभ मिलता है फास्फोरस देना चाहिए फसल को जिससे की दाना ठोस और चमकदार आये|
मूंग फसल को पानी कब दें :-
अगर हम बात करे की मूंग की फसल में सिंचाई की, तो गर्मियों में सिंचाई भूमि के प्रकार हवाओं की तीव्रता, तापमान पर निर्भर करती है।सामान्यतः मूंग की फसल को 4-5 सिंचाईयों की आवश्यकता होती है। मूंग में पहली सिंचाई बीजाई के 20-22 दिन के बाद तथा इसके बाद की सिंचाई आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए। और अधिक जानकारी के लिए आप वीडियो में देख सकते हैं|
मूंग में दूसरा पानी का वीडियो –
मूंग में तीसरा पानी का वीडियो –
पहली सिंचाई को बहुत जल्दी करने से जड़ों और ग्रंथियों का विकास प्रभावित होता है। सिंचाई फूल आने से पहले और दाना बनते समय पर होनी चाहिए। क्यारियाँ बनाकर आपको सिंचाई करनी चाहिए। बेहतर जल प्रबंधन के लिए स्प्रिंकलर जहां भी हो उसका उपयोग होना चाहिए। किसान जलवायु (उच्च तापमान) और मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होने के कारण खेत को छह से सात बार सिंचाई करते हैं।
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